November 02, 2022

Sir Roger at Church explain essay in Hindi

Sir Roger at Church


लेखक हमेशा Sunday के दिन बहुत ही खुश रहता था और उसका ये मानना था के पवित्र Sunday ही एक एसा दिन है जो इंसानों को सभ्य बनाने का काम करता है

वह सोचता है के अगर हमारी जिंदगी मैं Sunday न होता तो गाँव वाले असभ्य बन जाते. बार-बार Sunday का आना हम सबको इससे बचाता है| इस दिन सभी गाँव वाले अच्छे-अच्छे कपडे पहनकर चर्च में इकठ्ठा होते है| और एक दूसरे से अपने जीवन के सुख दुःख बाटते है. और चर्च उनको एक अच्छा इंसान बनाने के लिए धर्म और इंसानियत की बाते बताता है| और बाद मैं सब इश्वर की पूजा करते है इस तरह ये बातें उनको सभ्य बनाए रखती है|

आगे लेखक कहता है के Sunday पुरे हफ्ते की थकान मिटा देता है| इस परित्र दिन के बाद सभी लोग एक नया जीवन जीते है आगे आने वाले हफ्ते तक इस तरह ये बार-बार आकर सबकी मदद करता है इसके लिए सभी लोग इश्वर को धन्यवाद देते है. Sunday के दिन और भी बहुत सी बाते होती है जैसे जवान लड़के लड़कियों को आपस मैं मिलने का मोका मिलता है और वह एक दुसरे को Impress करने की पूरी कोशिश करते है| सभी गाँव वाले अपना सबसे अच्छा व्यवहार एक दुसरे को दिखाते है ताकि उन सब को अच्छा कहा जाये| जैसे शहर मैं लोगों की भीड़ बाजारों मैं दिखाई देती है उसी तरह गाँव मैं यह भीड़ Sunday के दिन दिखाई देती है| इस भीड़ का कुछ लोग फायदा उठाते है जब वे चर्च मैं पूजा से पहले या बाद मैं राजनीति की बाते करते है और लोगो के मत (Vote) अपनी तरफ करने की कोशिश करते है| और शाम के समय सब अपने अपने घरो को लौट जाते है एक नयी सुरुआत के साथ|

एक अच्छा church man होने के नाते sir Roger ने चर्च की अच्छे से देखभाल की है उन्होंने चर्च को बाहर से सजाया है और अन्दर चर्च की दीवारों पर अपने पसंद की Bible से ली गयी कुछ Quotation को वहां पर लिखवाया है| वह लोगो को अपने खर्चे पर अपनी पसंद के कपडे देता है, उसने चर्च में बात करने की टेबल के सामने रेलिंग लगवाई है और लेखक से वह कहता है के जब वह गाँव मैं आया था तो सभी लोग चर्च मैं नहीं आया करते थे, उसने ही उनको चर्च में आना सिखाया है | और इश्वर के सामने झुकना सिखाया|

वह सबको एक कपडे का Hassock देता है जिससे लोग उसको अपने घुटनों के नीचे रख कर इश्वर के सामने झुक सकें, इसके साथ-साथ एक प्रार्थना की किताब; और उसने एक गाना गाने वाले मास्टर को पैसे देकर लोगो को सही धुन और आवाज में प्रार्थना सिखाने के लिए रखा हुआ है| अपने इस काम पर वह गर्व करता है के अब लोग पहले से अच्छी तरह प्रार्थना को गा सकते है और सच में लेखक ने जितने भी चर्च देखें है अब तक यह चर्च उन सबमें सबसे अच्छा है|

Sir Roger पूरी सभा के landlord है मतलब मालिक है और जमींदार भी है, इसलिए उन्ही पर चर्च और प्रार्थना की सारी जुम्मेदारी है. इसलिए वह चर्च में नियम बनाये रखने के लिए हर सम्भव प्रयास करते है और तो और Sir roger ने कभी किसी को चर्च मैं प्रार्थना के समय सोने नहीं दिया, ये बात अलग है के वो खुद थोड़े देर के लिए सो जाए, अगर कभी वह थोड़ी देर के लिए सो जाते है तो बाद मैं जल्दी से उठकर चारो तरफ देखते है के कहीं कोई सो तो नहीं रहा है अगर वह किसी को सोता हुआ देख लेते है तो या तो वह खुद उसको उठाने के लिए जाते है या अपने किसी नोकर को उसको उठाने के लिए भेजते है| वह एक बूढ़े योद्धा की तरह है जो थोडा सनकी होता है लेकिन ये बात कभी कभार देखने को मिलती है| कभी-कभी एसा होता है के जब सब लोग अपनी प्रार्थना पढ़ चुके होते है तो वह बाद तक एक या दो मिनट तक पढता रहता है और कभी कभी तो एसा होता है के जब वो अपनी खुदकी प्रार्थना से संतुष्ट और खुश हो जाता है तो प्रार्थना खत्म होने पर कई बार “आमीन” कहता है. और कभी-कभी जब जब लोग इश्वर के सामने झुक जाते है तो वह खड़ा रहता है ये देखने के लिए के कोई एसा तो नहीं जो चर्च में ना आया हो या न झुका हो|

पिछले Sunday लेखक बड़ा ही Surprise था अपने मित्र Sir roger को प्रार्थना के बीच बोलते हुए देखकर| ये इसलिए हुआ क्योंकि एक Johan Mathews नाम का व्यक्ति था जो चर्च मैं सबको distrub कर रहा था| इस इनसान को सब लोग जानते थे उसके आलसी होनी की वजह से, इस समय वह फर्श पर अपने जूतों को मार रहा था जिसकी आवाज से प्रार्थना मैं परेशानी हो रही थी इसलिए Sir roger ने उसको बीच प्रार्थना मैं ही टोक दिया|

Sir roger का व्यवहार कुछ अजीब लगता है वह चर्च मैं अपना रौब एक योद्धा की तरह दिखता है लेकिन वह अपनी व्यक्तिगत जीवन मैं ऐसे व्यवहार का व्यक्ति नहीं है वह लोगो को अच्छा इंसान बनने के लिए प्रेरित करता है| उसके चरित्र मैं कुछ ज्यादा बुराई नहीं है और सभी ये बात जानते है के वह सभी गाँव वालो का भला चाहता है हालाँकि कुछ बाते चर्च मैं अजीब हैं लेकिन फिर भी लोगो पर उसका गहरा परभाव पड़ता है|

और जैसे ही प्रार्थना समाप्त होती है कोई एक दम से बहार जाने की हिम्मत नहीं कर सकता है जब तक के Sir roger खुद चर्च से बहार न निकल जाए. चर्च मैं जब लोग बैठे होते है तो Sir roger उनके पास आते है उन लोगो से उनकी माँ की तबियत पूछते है उनके परिवार के बारे मैं पूछते है और अगर कोई चर्च नहीं आता है तो इसको Sir roger अपना अपमान समझते है|

एक बार Priest (पुजारी) ने लेखक को बताया के प्रार्थना के दौरान Sir roger एक लड़के से बहुत खुश हो गये जिसने Sir roger के सवालों के जवाब अच्छे से दिए, और Sir roger ने उसको एक Bible दी और कभी-कभी वह उस लड़के को मीट भी देते थे उसकी माँ के लिए| हर साल Sir roger clerk की नोकरी के लिए पांच पोंड बढ़ा देते थे जिससे के जवान लोगो मैं भी इश्वर और चर्च की सेवा करने की इच्छा बनी रहे, इसके साथ-साथ वह यह भी वादा करता है के जो भी चर्च मैं काम करेगा वह उसको अच्छे से अच्छी सुविधा देने की कोशिश करेगा उनके काम के अनुसार जब वर्तमान का Clerk अपनी नोकरी से रिटायर हो जायेगा

और Sir roger और उस गाँव के व्यापरी (Chapman) के बीच बहुत अच्छे सम्बन्ध है| इस रिश्ते का महत्व जब पता चलता है जब जमींदार और व्यापारी के बीच के रिश्ते की तुलना पास के गाँव से की जाती है, पास के गाँव मैं जमींदार और व्यापारिओं के बीच आय दिन झगडे होते रहते है और इसका नतीजा ये होता है के गाँव के लोगो की रुचि (Interest) चर्च से खतम होती जाती है| हर कोई अपने को दुसरे से अच्छा साबित करने की कोशिश में लगा रहता है, जमींदार कभी भी चर्च नहीं जाता है और व्यापारी उसकी चारो तरफ बुराई करता है| यह बहुत ही खतरनाक है और जो पुजारी होता है वह लोगो को जमींदार के खिलाफ भड़काता है फिर जमींदार उनसे बदला लेता है, वह लोगो को नास्तिक बनाने की कोशिश करता है और लोगो को चर्च में दान न देने की सलाह देता है और हर Sunday पुजारी लोगो से  प्रार्थना के बाद ये बताता है के वह इस गाँव के जमींदार से अच्छा है और यही सब चलता रहता है

और कभी कभी जमींदार चर्च में प्रार्थना करने ही नहीं आता और न ही अपने घर प्रार्थना करता है इसके लिए पुजारी उसको चेतावनी देता है के अगर उसने अपना व्यवहार न सुधारा तो पुरे चर्च के सामने वह उसका अपनाम करेगा|

और ये झगडे जमींदार और पुजारी के बीच के ऐसे गांवों मैं सामन्य सी बात है और बड़ी ही खतरनाक है आम लोगो के लिए. यह एक सच्ची बात है के सामान्य लोग अमीर लोगो से परभावित होते है, कभी-कभी पुजारी को उन लोगो को समझाना बड़ा ही मुश्किल हो जाता है जो लोग साल के पांच सौ पोंड कमाते है और ऐसे लोग चर्च में विश्वास ही नहीं करते| इन बातो का सबपर प्रभाव पड़ता है, इसलिए यह जरुरी है के अमीर और ज्ञानी लोग आपस में प्रेम से रहें तभी जाकर पुजारी की शिक्षा सफल हो सकती है और लोग अच्छे बन सकते है

Note: यहाँ पर Exam Point of view से इस Article को सिर्फ और सिर्फ अच्छे से समझने के लिए लिखा गया है. इसमें कोई गलती ना हो इसका पूरा पूरा ध्यान रखा गया है फिर भी अगर कुछ रह जाये या कुछ गलत तथ्य पाए जाये तो लेखक या Website owner इसका कतई जुम्मेदार नहीं है|

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