Under the Banyan Tree Summary
Introduction
“Under the Banyan Tree कहानी है भारत के एक छोटे से गाँव की जहाँ पर ज्यादातर लोग गरीब है लेकिन इसके बाद भी ये गाँव वाले बहुत से मानवीय गुण रखते है, जैसे के विनम्रता, विश्वाश, प्रेम, और इमानदारी. इस काहानी का मुख्य पात्र Nambi नाम का एक कहानी सुनाने वाला होता है जो गाँव वालो को अच्छी-अच्छी कहानिया सुनाता है, हालाँकि वह एक अनपढ़ इंसान है लेकिन उसकी कल्पनाए बहुत अच्छी हैं जो उसको कहानिया बनाने मैं मदद करती है और लोग इकठ्ठा होकर कहानिया सुनने के लिए उसके पास आते है|
बदले मैं गाँव वाले उसको खाना, कपडे और पैसे देते थे, सब कुछ अच्छा चलता रहता है लेकिन एक दिन बुढ़ापे की वजह से वह कहानी नहीं सुना पाता और अगले दिन भी वैसा ही होता है, वह कहानी याद करने की बहुत कोशिश करता है लेकिन कोई फायदा नहीं होता, उसका दिमाग उसके कंट्रोल से बाहर हो जाता है और उसकी कल्पना बिखर जाती है गाँव वाले निराश हो जाते है और वह अपने घर चला जाता है Nambi को लगता है के उसने अपनी कहानी सुनाने की कला को खो दिया है, उसे बहुत बुरा लगता है वह मायूस हो जाता है और कभी भी कहानी ना सुनाने का फैसला लेता है Nambi का आगे का जीवन ख़ामोशी मैं बीतता है लेकिन गाँव वाले उसको अकेला नहीं छोड़ते वे उसको लगातार खाना और उसके जरुरत का समान भेजते रहते है
Summary
एक छोटे से मंदिर के सामने वह अपनी कहानिया सुनाया करता था, कोई नहीं जानता था के कब उसने उस मंदिर को अपना घर बनाया. उसके पास रखने के लिए कोई अधिक वस्तुए नहीं थी, कुछ धोती, कुछ कुरते और एक या दो धाडू मंदिर मैं लगाने के लिए, मंदिर के सामने एक बरगद का पेड़ था जिसके नीचे वह बैठा करता था. गाँव के लोग शाम के समय Nambi के पास आया करते थे और बरगद के पेड़ के नीचे बैठकर कहानिया सुना करते थे।कभी-कभी वह कहा करता था के वह ध्यान लगा रहा है ताकि देवी उसको नई कहानी सुनाने की शक्ति दे, वह अक्सर कहा करता था के उसकी कहानिया देवी का उसके लिए उपहार है जो उसे मिला है वर्ना कहानिया हवा में यूँही नहीं मिल जाती।
हर शुक्रवार की शाम के समय सभी गाँव वाले उस मंदिर में पूजा करने के लिए आया करते थे, Nambi मंदिर में देवी की मूर्ती के पास कई सारे लेम्प जलाया करता था, इस समय वह मंदिर के पुजारी की तरह काम किया करता था और देवी को फूल और फल चढ़ाया करता था| जब कभी भी Nambi के पास नई कोई कहानी होती थी तो वह बरगद के पेड़ के नीचे जलता हुआ लेम्प रख देता था जिससे लोगो को पता चल जाता थे के Nambi के पास एक और कहानी है सुनाने के लिए. गाँव वाले जल्दी जल्दी खाना खा कर वहां इकठ्ठा हो जाया करते थे। और Nambi अपने माथे पर राख और संदूर लगा कर मंदिर के सामने एक पत्थर पर, पेड़ के नीचे बैठ जाया करता था।
Nambi अपनी कहानी को बड़े ही दिलचस्प तरीके से सुरु करता था, वह लोगो से सवाल पूछता था और राजा, रानिओ और उनके राज्य की बारे बाते करता था, Nambi हर एक छोटी से छोटी चीज़ को बड़ी ही बारीकी से बताता था जेसे महल और उनकी दीवारे पर बने सुन्दर कला और चित्र और राजा के दरबार मैं रहने वाले संगीतकारों के गाए हुए गानों को वो स्वम गा कर सुनाता था. वह कहानी को इस तरह सुरु करता था के उसको पूरा करने मैं कई दिन का समय लग जाता था, पहला दिन तो कहानी को सैट करने मैं लग जाता था, जैसे के कहानी किस देश की है और उसमे कौन सा चरित्र कौन है, कहानी के दुसरे हिस्से मैं Nambi कहानी को अपनी आवाज को ऊँचा और नीचा करके सुनाता था जिससे उसकी कहानी और अधिक सच लगती थी और अधिक परभावि हो जाती थी| कहानी मैं एक ऐसा संसार बन जाता था जहाँ पर गाँव वाले भावुक होकर अलोकिक शक्ति, परी, जादूगर के संसार से जुड़ जाते थे, और एक एसा अनुभव करते थे जो उन्होंने अपने जीवन मैं कभी नहीं किया होता है और जब कहानी का अंत हो जाया करता था तब सब मंदिर मैं देवी को परनाम करके अपने अपने घर चले जाते थे।
सामान्यत: Nambi हर एक नये चाँद के निकलने के साथ एक नई कहानी के साथ तय्यार रहता था, उसने कभी भी एक कहानी को दुबारा नहीं सुनाया. यह काम Nambi का कहानी सुनाने का सालो साल ऐसे ही चलता रहा लेकिन एक दिन, उसने जब लेम्प जलाया और उसके कहानी सुनने वाले इकठ्ठा हो जाते है और वह कहानी सुनाना सुरु कर देता है ये कहानी रजा विक्रमादित्य और उसके एक मंत्री के बारे मैं होती है लेकिन अचानक से ही वह खामोश हो जाता है वह दोबारा अपने शब्दों को दोहराता है लेकिन उसकी आवाज साफ़ नहीं होती, वह थोड़ी देर थोडा सोचता है फिर दोबारा देवी से प्राथना करता है, उसे आश्चर्य है के केसे वह वह अपनी कहानी को भूल गया ये एक ऐसा अनुभव था जिसने Nambi को दुखी कर दिया था और जो भी लोग वहां पर कहानी सुनने के लिए बैठे हुए थे वे सब खुद परेशान थे के ये क्या हो रहा है सभी आपस मैं बात करने लगे Nambi को अब एहसास हो रहा था के अब वह बूढा हो रहा है उसने देखा के सभी लोग जा चुके है उसके दोस्त Mari को छोड़ कर, Nambi उसे बताता है के उसके दिमाग ने उसका कहना मानना बंद कर दिया है और वह अपने आप से निराश है
अगले दिन उसने फिर से पेड़ के नीचे लैंप जलाया और फिर से गाँव वाले वहां पर इकठ्ठा हो गये, Nambi ने पुरे दिन देवी की पूजा की थी के देवी उसको अकेला न छोड़े, उसने दोबारा से कहानी को सुरु किया और सुनाता गया एक घंटा हो चूका था उसने देवी को धन्यवाद दिया लेकिन कुछ देर के बाद वह फिर से चुप हो जाता है और शब्दों को तलाशने लगता है लेकिन आगे कहानी नहीं सुना पाता, सभी लोग ख़ामोशी से उढ़कर अपने अपने घर चले जाते है Nambi गाँव वालो को कोई दोष नहीं देना चाहता था, दो दिन के बाद उसने फिर से कोशिश की और बस कुछ ही मिनट कहानी सुना पाया अब लोगो ने लेम्प को अनदेखा करना सुरु कर दिया था Nambi को ऐसा लग रहा था के उसे पहले ही मर जाना चहिये, इसके बाद Nambi ने अपने आपको मंदिर के अन्दर वाले हिस्से मैं बंद कर लिया और बहुत ही कम खाना खाने लगा और ध्यान लगाने लगा।
जब अगला नया चाँद दिखाई दिया Nambi ने फिर से लेम्प जलाया, बस कुछ ही गाँव वाले आए वो एक नई कहानी सुनने की उम्मीद मैं थे लेकिन आखिर मैं कहानीकार ने कहानी सुनाने से इनकार कर दिया था जब तक के पूरा गाँव एक साथ पहले की तरह इकठ्ठा नहीं होता, अगले दिन Nambi खुद गाँव मैं गया लोगो को ये बताने के लिए के उसके पास एक बहुत ही अच्छी कहानी है सुनाने के लिए सभी को ये कहानी सुननी चाहिए. लोगो को इस बात की ख़ुशी हुई के Nambi फिर से कहानी सुना सकता है और एक फिर से पुरे गाँव के लोग पेड़ के नीचे काहनी सुनने के लिए आ गये लेकिन कहानी सुनाने के बजाए Nambi ने यह कहा की वह एक बेकार और बेवकूफ बूढा हो चूका है जिसने अपना कहानी सुनाने का देवी का उपहार खो दिया है क्यों के देवी किसी को भी कोई भी उपहार दे भी सकती है और ले भी सकती है| उसने गाँव वालो को यह भी बताया के कोई भी फूल उसकी खुशबु के बिना बेकार होता है और ऐसे लेम्प का कोई फायदा नहीं होता जिस लैम्प में तेल नहीं होता, आखिर में उसने कहा के ये उसके अंतिम शब्द है और यही उसकी कहानी है और वह वहां से उठता है और अन्दर अपने कमरे मैं चला जाता है।
गाँव वाले आश्चर्य मैं थे और समझ नहीं पाए के ये क्या हो रहा है जब कुछ लोग मंदिर के अन्दर गये और उन्होंने उससे पुछा के क्या उसके पास अब कुछ और सुनाने के लिए नहीं है, Nambi इस बात पर खामोश रहा और उसने इशारा किया के वह अपने अंतिम शब्द बोल चूका है इसके बाद उसने खाना खया और वहां से चला गया, उसने इससे अधिक किसी से और कुछ नहीं माँगा, चारो तरफ सन्नाटा छा गया, इस तरह लेखक ये कहने की कोशिश करता है के जब अक कलाकार अपनी कला को खो देता है तो उसका जीवन से सब कुछ समाप्त हो जाता है। एक समझदार कलाकार को अपने जीवन मैं समय रहते ही खामोश हो जाना चाहिए
Note: यहाँ पर Exam Point of view से इस Article को सिर्फ और सिर्फ अच्छे से समझने के लिए लिखा गया है. इसमें कोई गलती ना हो इसका पूरा पूरा ध्यान रखा गया है फिर भी अगर कुछ रह जाये या कुछ गलत तथ्य पाए जाये तो लेखक या Website owner इसका कतई जुम्मेदार नहीं है|