The Conquest of the World by Indian Thought by Swami Vivekananda.
The conquest of the world by Indian thoughts एक Essay है Swami Vivekananda जी का. ये उनके एक भाषण का हिस्सा है जो उन्होंने मद्रास में दिया था, इसका टॉपिक था 'The Work Before us.'
Vivekananda जी कहते है के हमें बहुत सी चीज़े सीखने की जरुरत है इस संसार से, अपने इस भाषण मैं वो आचार्य मनु जी की कही हुई बात को दोहराते है के अच्छा ज्ञान कहीं से भी सीख लेना चाहिए चाहे सिखाने वाला नीचे कुल मैं जन्मा कोई शुद्र ही क्यों न हो, और ये सीखना चाहिए के हम सेवा करते हुए स्वर्ग को किस तरह पा सकते हैं| आगे वह कहते है के आचार्य मनु की संतान हमेशा उनकी बातो को मानती है और हमेशा सीखने के लिए तय्यार रहती है जो उन्हें उनकी जिंदगी सिखाती है| न सीखने की बहुत बड़ी कीमत हम एक हजार साल की गुलामी के रूप मैं चुका चूके है (मतलब पहले भारत पर मुस्लिम हुकूमत फिर अंग्रेजी हुकूमत का राज) अगर कोई ये सोचता है के हम भारतीय कभी भारत के बहार समुन्द्र को पार कर के नहीं जा सकते तो ये उनकी एक बेवकूफी भरी सोच होगी.
Swami Vivekananda जी हम सब भारतियों से चाहते है के हम सब Proactive बने मतलब ऐसे बने जो लोग कार्य को अपने आप सुरु करते है न के किसी भी घटना या काम का खुद से होने की प्रतीक्षा करते है. खास कर के आध्यात्मिकता को संसार में फ़ैलाने के काम के लिए हम सबको सक्रिय रहने की जरुरत है| जीत का मतलब दूसरों को बर्बाद या हराना नहीं होता बलके सबकी मदद करना होता है, उनको बर्बादी से बचाना होता है|
Swamiji ये बताते है के, हम भारतीयों संसार को अपनी अध्यात्मिकता से जीत सकते है, नफरत को प्रेम से जीतना है. नफरत स्वम जीतनी नहीं चहिये. भोतिकवाद और इसके सरे दुःख स्वम भोतिकवाद से कभी नहीं जीते जा सकती है, किसी भी देश की सेना जब दुसरे देश की सेना को हराने की कोसिस करती है तब सिर्फ मानवता का विनास होता है|
आगे वह बताते है के जीवन का मुख्य लक्षण ही अपने आपमें विस्तार करना होता है| भारतियों को जरुरी रूप से जीने के लिए विस्तार करना होगा, Vivekananda जी कहते है, की वह विदेश अपने देश के विस्तार के लिए गये थे, कुछ लोग ये सोचते है के हिन्दू (भारतीय) देश की चार दीवारियों में ही रहे है हमेशा तो वे बिलकुल गलत है|
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The Conquest of the world by Indian Thought |
ऐसे लोगो ने शायद भारत का इतिहास नहीं पढ़ा है, अगर वो इतिहास पढ़े तो उनको आर्य जाती के बारे मैं पता चलेगा| Vivekananda जी चाहते थे के भारत पूरे संसार पर विजय हो. जैसे महान सम्राट अशोक ने अपने विचारो से सारे संसार को जीत लिया था, मतलब सम्राट अशोक ने बोध धर्म, सच्चाई, अध्यात्मिकता को समस्त संसार में फैलाया था. हम भारतीय बहुत अच्छा काम करते है जब हम किसी दूसरे के लिए काम करते है. हमारे लोगो को जरुरत है के वो दूसरे देशो को भी अपने ज्ञान से और अपने विचारों से प्रकाशित कर दें, विदेशी लोग अपनी सेना लेकर यहाँ आ सकते है तो वो आ जायं. हम अपनी आध्यात्मिकता और ज्ञान से इस संसार को जीत लेंगे. हमारी आध्यात्मिकता पश्चिम को जीत लेगी, शानदार भारतीय जीवन की एक ही शर्त है के हम संसार को भारतीय विचारो से जीत लें.
यदि हमारे पास हमारे सिधांत है, तब बहुत से ज्ञानी हमारे यहाँ पर जन्म लेंगे, हमारा धर्म किसी एक इंसान या बहुत से इंसानों पर टिका हुआ नहीं है बलके उसकी नीवं हमारे यहाँ के सिद्धांत है. यह हमारी निष्ठा सिद्धांत के लिए है किसी व्यक्ति के लिए नहीं है
Note: यहाँ पर Exam Point of view से इस Article को सिर्फ और सिर्फ अच्छे से समझने के लिए लिखा गया है. इसमें कोई गलती ना हो इसका पूरा पूरा ध्यान रखा गया है फिर भी अगर कुछ रह जाये या कुछ गलत तथ्य पाए जाये तो लेखक या Website owner इसका कतई जुम्मेदार नहीं है|
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